बाबाजी के क्रिया योग में दीक्षा की भूमिका को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है | दीक्षा एक पावन प्रक्रिया है जिसमें शिष्य को सत्यबोध के एक माध्यम की प्रथम अनुभूति कराई जाती है | वह माध्यम है क्रिया अर्थात योग की व्यवहारिक तकनीक और वह सत्य है शाश्वत एवं असीम अस्तित्व का प्रवेश द्वार | नाम-रूप से परे होने के कारण यह सत्य शब्दों या प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त नहीं किया जा सकता | हाँ, इसे अनुभव अवश्य किया जा सकता है और इसके लिये एक ऐसा गुरु चाहिये जो इस सत्य के अपने जीवंत अनुभव को बाँट सके | इस तकनीक के माध्यम से गुरु अपने शिष्य को अपने अंदर इस सत्य का साक्षात्कार पाने कि विधि प्रदान करते हैं |